अपनी ताकत के बारे
में जानना ?
दोस्तों
अपनी क्षमता की सीमा के बारे में ना जानना उतना ही अच्छा है, जितना भंवरे का अपनी
उड़ने की क्षमता के बारे में ना जानना बस मन में ललक हो तो जीती जा सकती है जिन्दगी
की हर जंग| तो बस शुरू हो जाएं|
वैज्ञानिकों
के माने तो एक भंवरा कभी उड़ नहीं सकता, क्योंकि उसके शरीर का वजन उसके पंखों के
चौड़ाई के मुकाबले काफी ज्यादा होता है| लेकिन भंवरा इन सब वायु के नियमों को नहीं
जानता एक फूल से दुसरे फूल पर उड़ान भरता रहता है| कहने का मतलब यह है की यदि आपको
अपनी सीमा पता नहीं होती तो अनजाने में सब कुछ कर डालते है| अगर भंवरे को भी पता
चल जाए की उसकी उड़ान की सीमा है, उसका मन ही हार मान के बैठ जायेगा और वह कभी नहीं
उड़ पायेगा| कहते हैं ना, मन के हारे हार है, मन के जीते जीत....| असल में किसी भी
काम को लेकर कोई सीमा खुद अपने आप थोपते हैं| हमारा कथित ज्ञान हमारे मन को पहले
ही समझा देता है कि ऐसा हो सकता है वैसा नहीं|
1.हेनरी फोर्ड : ने दुनिया को वी 8
इंजन दिया, जबकि वह 14 साल की उम्र में वह स्कूल भी नहीं जा पाए| उन्होंने वी 8
इंजन बनाने के बारे में अपनी कम्पनी के ऊँचे दर्जे के पढाई कर चुके लोगो को कहा|
इन सभी के मुताबिक वी 8 इंजन बनाना असंभव था और वे इतना जानते है की क्या किया जा
सकता था और क्या नहीं| हेनरी ने उन लोगो को प्रयास जारी रखने को कहा और एक दिन
उन्ही लोगों ने उनका वी 8 इंजन का सपना साकार कर दिया|
2.एपीजे
अब्दुल कलाम: जिसको पूरी दुनिया
“मिसाईल मैन “ के नाम से जानती है| कलाम का बचपन बड़ा संघर्ष पूर्ण रहा| वे
प्रतिदिन सुबह 4 बजे उठाकार गणित का ट्यूशन पढ़नें जाया करते थे| वहाँ से 5 बजे
लौटने के बाद वे अपने पिता के साथ नमाज पढ़तें, फिर घर से 3 किलोमीटर दूर स्थित
धनुषकोड़ी रेल्वे स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूम कर बेचते| कलाम घंटो तक
पढाई करते, खास कर के गणित के विषयों की| कलाम ने कहा की इस देश के सबसे अच्छे
दिमाग क्लास की लास्ट बेंच पर मिल सकते है| उन्होंने कहा की जिन्दगी अगर बदलनी है
तो लक्ष्य बड़े रखों छोटे लक्ष्य तो अपराध है|
3.दशरथ
माँझी : जिसको दुनिया “ माउंटन मैन” के नाम से जानती है| एक ऐसा शख्स जिसने पहाड़
के टुकड़े-टुकड़े कर डाले| जिस ने पुरे पहाड़ को चिर डाला| एक ऐसा नाम जो इंसानी
ज़ज्बे और जुनून की मिसाल है| वो दीवानगी, जो प्रेम की खातिर ज़िद में बदली और तब तक
चैन से नहीं बैठा, जब तक की पहाड़ का सीना ने चिर दिया| पत्नी के चले जाने के गम से टूटे दशरथ माँझी ने अपनी सारी ताकत बटोरी और पहाड़ के सीने पर
वार करने का फैसला किया. लेकिन यह आसान नहीं था. शुरुआत में उन्हें पागल तक कहा
गया. दशरथ मांझी ने बताया था, 'गांववालों ने शुरू में कहा कि मैं पागल हो गया
हूं, लेकिन उनके तानों ने मेरा हौसला
और बढ़ा दिया| साल 1960 से 1982 के बीच दिन-रात दशरथ मांझी के दिलो-दिमाग में
एक ही चीज़ ने कब्ज़ा कर रखा था. पहाड़ से अपनी पत्नी की मौत का बदला लेना. और 22 साल जारी रहे जुनून ने अपना नतीजा दिखाया और
पहाड़ ने मांझी से हार मानकर 360 फुट लंबा, 25 फुट गहरा और 30 फुट चौड़ा रास्ता दे दिया|
4. मेरी
कौम : मैरी कॉम किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है। महिला
मुक्केबाजी की दुनिया में मैरी कॉम भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में धूम मचा चुकी हैं।
उन्होंने अपनी लगन और कठिन परिश्रम से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा का अमीरी और
गरीबी से कोई संबंध नहीं होता और अगर आप के अन्दर कुछ करने का जज्बा है तो, सफलता हर हाल में आपके कदम चूमती है। पांच बार विश्व
मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज़ हैं
जिन्होंने अपनी सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है। 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर वह ऐसा
करने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज़ बनीं। - एक बार बॉक्सिंग रिंग में उतरने का
फैसला करने के बाद मैरी कॉम ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक महिला होने के
नाते उनका सफ़र और भी मुश्किल था पर उनका हौसला भी फौलाद का बना है – एक बार जो ठान लिया वो कर के दिखाना है!
राष्ट्रिय बॉक्सिंग चैंपियनशिप के अलावा मैरी कॉम अकेली ऐसी महिला मुक्केबाज़ हैं
जिन्होंने अपनी सभी 6 विश्व प्रतियोगिताओं में पदक जीता है। एशियन
महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में उन्होंने 5 स्वर्ण और एक रजत पदक जीता है, महिला विश्व वयस्क मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में
भी उन्होंने 5 स्वर्ण और
एक रजत पदक जीता है, एशियाई
खेलों में मैरी ने 2 रजत और 1 स्वर्ण पदक जीता है। 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीत कर
उन्होंने देश का नाम ऊँचा किया। इसके अलावा मैरी ने इंडोर एशियन खेलों और एशियन मुक्केबाजी
प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता है।
कैसे
? इन्होने अपनी कल्पना शक्ति को अपनी शैक्षिक सीमओं से आगे रखा| देखा जाए तो
शिक्षा हमें यह बताती है क्या किया जा सकता है, लेकिन अनजाने में हमें यह भी सिखा
देती है की क्या नहीं किया जा सकता| ऐसे में अगर आपको यह लगता है की आप कोई काम
नहीं कर सकते या फिर वह आपकी सीमओं से परे है तो फिर अपनी कमजोरियों और ताकतों के
लिस्ट बनाएं| उसके मुताबिक एक्शन प्लान बनाएं| आप क्या कर सकते है या फिर आप क्या
बनना चाहते है, सिर्फ इसी चीज पर फोकस कीजिए| एक बार ऐसा तय करने के बाद आपको अपने भीतर उस काम को करने की आग पैदा करनी
होगी| जैसे कम आग से गर्मी नहीं मिल सकती, उसी तरह से एक कमजोर इच्छा एक अच्छा
रिजल्ट पैदा नहीं कर सकती| अगर एक शख्स पानी में डूब रहा है तो उस हवा के अलावा
कुछ नहीं चाहिए| वैसे ही बर्निंग डिजायर चाहिए| अपनी कल्पना को हकीकत में बदलने की
लिए सीमओं के बारे में सोचे-जाने बगैर काम करें| आपको सफलता जरुर मिलेगी|
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